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वो अक्सर कहा जाता है ना नकल मे अकल भी लगानी पड़ती है। और यहाँ इस बार एक कौवे के साथ कुछ हुआ भी ऐसे ही आइये जानते हैं कैसे ।
एक समय की बात है। एक ऊंचे पहाड़ पर एक गरुड़ रहता था। और उसी पहाड़ की तलहटी मे एक पेड़ पर अपना घोंसला बना कर एक कौवा भी रहता था। उस पहाड़ की तलहटी मे आस पास के गवों से लोग अपनी भेड़ बकरियाँ चराने वह लाया करते थे कभी कभी उनके साथ भेड़ बकरियों के मेमने भी साथ मे आया करते थे । गरुड़ अक्सर उन्हीं मेमनों को अपना शिकार बनाया करता था।
रोज रोज ये सब होता देख कर एक दिन कौवे ने भी सोचा की ऐसे तो मै भी शिकार कर सकता हूँ। उसने सोचा की जिस तरह से गरुड़ बहुत ऊंचाई मे जा कर सीधा अपने शिकार पर हमला करता है। और उन्हे अपना शिकार बनाता है। ठीक मै भी ऐसे ही कर सकता हूँ।
अब अगले दिन जब वह भेड़ बकरियाँ चरने आईं तो कौवे ने जितनी हो सकती थी उतनी ऊंची उड़ान भरी । और गरुड़ की तरह सीधे ही अपनी शिकार की तरफ गोता लगाने लगा।
चूंकि कौवे को ऐसे गोता लगाने का अभ्यास नहीं था। वह अपनी गति और दिशा मे नियंत्रण नहीं रख पाया । और सीधा जा कर पहाड़ी से टकरा गया। जिससे उसकी चोंच टूट गई । और उसका सिर भी फट गया 🙁 और कुछ ही देर मे कौवे की मृत्यु हो गई।
इसलिए ही कहा जाता है की नकल मे अकल लगाना भी आवश्यक है। जब भी हम किसी भी कार्य को शुरू करते हैं । तो उस कार्य को सीधे यह देख कर शुरू ना कर दें की । फलाने कार्य मे कोई और तो बहुत ज्यादा सफल हैं तो हम भी हो सकते हैं।
सकारात्मक होना बहुत अच्छी बात है। परंतु हमे कोई भी कार्य बिना प्लानिंग एवं उसके परिणामों पर विचार किए बिना नहीं करनी चाहिए। अगर बात व्यापार की हो तो हमे अक्सर पहले सीखने पर ध्यान देना चाहिए। तभी हम सफल हो सकते हैं ।
हमे कोई भी कार्य बिना सोच विचार के नहीं करना चाहिए । हमे किसी भी कार्य को करने से पहले उसकी पूरी तैयारी कर लेनी चाहिए। किसी की भी देखा देखि कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए । क्यूंकी नकल मे अकल लगाना भी आवश्यक है।
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