Physical Address
Civil Lines DNK Road Kondagaon
भारतीय उद्योगपति मुकेश अंबानी ने भारत के ग्रोथ पर भरोसा जताते हुए कहा कि भारत सन 2047 तक 40 ट्रिलियन डॉलर (40 Trillion Dollar Economy) की इकोनामी होगा, साथ ही वह दुनिया के टॉप 3 अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होगा ।
बेस्ट वेबसाईट Hosting की सुविधा मात्र 69 रुपए मे बेस्ट होस्टिंग प्रोवाइडर HOSTINGER के साथ
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन भारत एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी मंगलवार को यहां एक कन्वोकेशन संबोधित कर रहे थे इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत सन 2047 तक 3 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 40 ट्रिलियन डॉलर की इकोनामी होगा ।
जिसके लिए सबसे अहम स्तंभ क्लीन एनर्जी और डिजिटलाइजेशन होंगे , साथ ही उन्होंने भारत की ग्रोथ के तीन मंत्र भी दिए
(1) थिंक बिग
(2)थिंक ग्रीन
(3) थिंक डिजिटल
अंबानी ने कहा कि आने वाले समय में 3 game-changing रिवॉल्यूशन से भारत की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी । यह game-changing रिवॉल्यूशन भारत की ग्रोथ को कंट्रोल करेंगे जोकि है क्लीन एनर्जी ग्रीन एनर्जी और डिजिटल रिवॉल्यूशन ।
इन तीनों की वजह से हमारा जीवन हमेशा के लिए बदल जाएगा क्लीन एनर्जी और बायो एनर्जी रिवॉल्यूशन हमारे लिए स्थाई रूप से उर्जा का निर्माण करेंगे , तथा डिजिटली हम अपने हर रिसोर्सेज को काफी बेहतर ढंग से मैनेज कर पाएंगे और इन सब के संयुक्त प्रभाव से हमारा भारत देश और हमारी धरती जलवायु संकट से बच पाएंगे।
उन्होंने हमारे देश के युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य के लीडर के रूप में आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारा देश ग्लोबल क्लीन ग्रीन एनर्जी रिवॉल्यूशन का नेतृत्व करे ।
गौरतलब है कि अभी कुछ दिनों पहले ही हमारा भारत देश ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनामी बना था चालू वित्त वर्ष में (2022-23 में) भारत की इकोनामी 854.7 अरब डॉलर रही है जो कि ब्रिटेन के 816 अरब डालर से कहीं ज्यादा है । एक दशक पहले तक भारत 11 वे स्थान पर आता था ।
कुछ दिनों पहले दुनिया के तीसरे एवं भारत एवं एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी ने कहा था कि भारत 2050 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनामी होगा लेकिन मुकेश अंबानी की माने तो यह आंकड़ा $40 ट्रिलियन (40 Trillion Dollar Economy) का होगा ।
खैर जो भी हो भारत के इन दो अग्रणी उद्योगपतियों की यह भविष्यवाणियां देशवासियों तथा अर्थशास्त्रियों में नया जोश भरने के लिए काफी लग रही है ,और समय-समय पर जीडीपी के जारी आंकड़े इस बात को और भी हवा देने में कोई कसर नहीं छोड़ते ।