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PE Ratio एक ऐसा आधारभूत सूत्र है जिसे शेयर मार्केट मे काम करने वाले इन्वेस्टर और ट्रैडर किसी भी शेयर की कीमत पता करने के लिए करते हैं । PE Ratio तुलना करता है किसी भी शेयर के वर्तमान कीमत से उसकी EPS से यानि की अर्निंग पर शेयर से।
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सीधे शब्दों मे समझ जाए तो आप इसे ऐसे समझ सकते हैं की अगर आपको किसी भी कंपनी के शेयर से 1 रुपये कमाने हैं तो वर्तमान मे आपको उस एक रुपये के लिए कितने पैसे चुकाने पड़ रहें हैं।
और सरल कहूँ तो जितना ज्यादा PE Ratio उतनी ज्यादा कीमत मतलब की आगे विस्तार से समझेंगे।
ऊपर आपने इसके बेसिक सिद्धांत को तो समझ लिया चलिए अब चलते हैं जरा विस्तार से बात करते हैं।
जैसे की आप अब जानते हैं की PE Ratio एक ऐसा आधारभूत मात्रक है जिससे हम यह जान सकते हैं की कोई भी इन्वेस्टर किसी भी शेयर मे एक रुपये कमाने के लिए कितना इन्वेस्ट करने को या कीमत चुकाने को तैयार है।
उदाहरण के लिए अगर किसी कंपनी की PE Ratio 20 है तो इसका मतलब इन्वेस्टर उस शेयर से 1 रुपये कमाने के लिए 20 रुपये देने को तैयार है।
तो अब बात आती है इसकी गणना कैसे करें, तो यह भी कोई रॉकेट साइंस नहीं है यह एक साधारण से सूत्र से किया जा सकता है।
PE Ratio पता करने के लिए आप किसी भी शेयर की वर्तमान कीमत को उसके earnings per share (EPS) से भाग करदें। जैसे अगर किस कंपनी की मौजूदा शेयर प्राइस 100 रुपए है और उसकी earnings per share (EPS) 5 रुपए है। तो उसकी PE Ratio कुछ इस प्रकार होगी
(100/5) = 20
मतलब की उस कंपनी की PE Ratio 20 की हुई।
तो आपने जाना की की PE Ratio क्या है और इसकी कैसे गणना की जा सकती है।
अब इस बात को लेके विशेषज्ञों के बीच मे काफी बहस होती है की एक अच्छा PE Ratio क्या हो सकता है? और यह सत्य भी है की इसका कोई एक निश्चित मात्रक या कोई एक उत्तर नहीं है।
साधारण रूप से यह इस बात को ही दर्शाता है की किसी भी कंपनी के शेयर से होने वाले मुनाफे को लेके कोई निवेशक कितना आशावादी है। जितनी ज्यादा PE Ratio उतनी ज्यादा आशा।
और यही आशा कभी कभी निराशा मे भी बदल जाती है, क्यूंकी कई बार यह इस बात को भी दर्शाता है की अगर किसी भी कंपनी के शेयर की PE Ratio बहुत ज्यादा है तो वो शेयर इस वक्त ओवर वैल्यूड है।
और कभी कभी यह इस बात को भी दर्शाता है की अगर किसी कंपनी के शेयर की PE Ratio इस वक्त बहुत कम है तो वह शेयर इस वक्त काफी सस्ते मे मिल रहा है, मौका है लपक लीजिए। बाद मे बड़ जाएगा।
अब इसे एक उदाहरण से समझते हैं मन लीजिए दो कॉम्पनीस एक तरह की इंडस्ट्री मे काम कर रहीं हैं और दोनों की अर्निंग भी लगभग बराबर ही है, लेकिन एक कंपनी की PE Ratio ज्यादा है और एक की कम।
अब इस परिस्थिति मे एक निवेशक कम PE Ratio वाली कंपनी को अपने निवेश के लिए चुन सकता है, क्यूंकी उसके हिसाब से हो सकता है उस कंपनी का शेयर काम प्राइस मे मिल रहा है। और जबकि अन्य निवेशक ज्यादा (पी. ई.) वाली कंपनी को चुन सकते हैं क्यूंकी हो सकता है की उन्हे उस कंपनी के फ्यूचर ग्रोथ के ऊपर ज्यादा भरोसा हो।
लेकिन ये तुलन सिर्फ एक टाइप की इंडस्ट्री के लिए उचित है क्यूंकी आप एक साबुन बनाने वाली कंपनी की तुलना किसी आईटी कंपनी से नहीं कर सकते। आपको एक तरह की इंडस्ट्री के शेयर की तुलना उसी के इंडस्ट्री के अन्य कंपनी के शेयर से करना होगा।
हलाकी हर बार कोई निवेशक (पी. ई.) Ratio पर ही निर्भर हो ये जरूरी नहीं है, क्यूंकी यह सिर्फ एक पहलू है। अपने निवेश से अधिकतम लाभ पाने के लिए आपको अन्य पहलुओं को भी समानांतर रूप से देखना होगा फिर तुलना करनी होगी की इस शेयर मे निवेश करना सही है भी या नहीं।
PE Ratio के महत्वपूर्ण होने के पीछे कई सारे कारण है:
PE Ratio इस्तेमाल करके कोई भी निवेशक यह जान सकता है की कोई शेयर इस वक्त उसके कमाई की तुलना मे ज्यादा कीमत मे मिल रहा है या कम कीमत मे मिल रहा है।
ज्यादा (पी. ई.)Ratio यह दर्शाता है की निवेशकों का रुझान अभी उस शेयर के ऊपर है और वे इस कंपनी की ग्रोथ के लिए काफी आशावादी हैं, और वे इस बात से आश्वस्त हैं की भविष्य मे उन्हे इससे काफी लाभ मिलेगा।
जब बात आती है एक समान क्षेत्र मे कार्य कर रहे कम्पनीस की तो, उनकी तुलना करने मे (पी. ई.) Ratio सबसे ज्यादा सहायक होता है । उदाहरण के लिए मन लीजिए की कोई दो संस्था एक ही क्षेत्र मे कार्य कर राही हैं, ओर दोनों के एक समान ग्रोथ के अनुमान हैं, ओर दोनों के वित्तीय स्थिति भी लगभग एक समान ही है ऐसे मे अगर मान लो किसी एक की PE Ratio दूसरे से काम है, तो वो एक अच्छी निवेश योग्य संस्था के शेयर के रूप मे जाना जाएगा।
PE Ratio अन्य तकनीकी मानकों के साथ इस्तेमाल करने पर शेयर मे निवेश करने हेतु निवेशकों की अच्छी सहायता करता है। इससे निवेशक काफी कुछ जानकरी हासिल कर सकते हैं ताकि वो एक अच्छा निवेश का निर्णय ले सकें ।
अगर एक सार रूप मे देखें तो PE Ratio एक अच्छा मात्रक है, जो निवेशकों के लिए किसी कंपनी के शेयर की कीमत का सही अंदाजा लगाने मे सहायता करता है। इससे किसी कंपनी के भविष्य के ग्रोथ का अंदाज भी लगाया जा सकता है।
वहीं इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है की PE Ratio को अन्य मात्रकों के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिये केवल (पी. ई.) Ratio के इस्तेमाल से आप सही निवेश का निर्णय नहीं लगा सकते।
परिस्थितियों के हिसाब से (पी. ई.) Ratio का जादा या काम होना दोनों अच्छा हो सकता है, सामान्य रूप से ज्यादा PE Ratio का होना इस बात का संकेत है की निवेशक किसी भी शेयर मे उसकी ग्रोथ को लेके काफी आशावादी है, तथा उन्हे इस बात का भरोसा है की वह कंपनी भविष्य मे अच्छा मुनाफा कमा कर देगी ।
यह इस बात का भी इशारा करती है की निवेशक उस कंपनी के शेयर के लिए प्रीमियम चुकाने के लिए तैयार हैं। तथा इसे निवेशकों के कंपनी के शेयरों के प्रति भरोसे की तरह भी देखा जा सकता है।
लेकिन कई मामलों मे यह एक चेतावनी की तरह काम करता है और इस बात का संकेत देता है की इस कंपनी के शेयर फिरहाल ओवेरवैल्यूड हैं। और किसी भी नकारात्मक सूचना का असर इस शेयर कि कीमत को काफी काम कर सकता है। जिससे मौजूदा निवेशकों को नुकसान उठाना पद सकता है।
अतः (पी. ई.) Ratio का ज्यादा या काम होना किसी भी कंपनी की परिस्थिति प्र निर्भर करता है ओर इसके साथ अन्य मात्रकों का इस्तेमाल करना ज्यादा समझदारी होगी। और आप इससे उचित निर्णय भी ले पाएंगे।
जैसा की हम सब अब जानते हैं की PE Ratio यह दर्शाता है की कोई भी निवेशक एक रुपया कमाने के लिए शुरुवात मे कितनी कीमत चुकाने को तैयार है। यह निवेशकों को इस बात का इशारा करता है की कोई भी शेयर इस वक्त ओवेरवैल्यूड है या अन्डर वैल्यूड है।
सामान्य रूप से (पी. ई.) Ratio के ज्यादा होने पर यह इस बात का इशारा है की निवेशक उस कंपनी के ग्रोथ के लिए काफी आशावादी हैं, वहीं लो PE Ratio इस बात का इशारा है की निवेशक उस कंपनी के ग्रोथ को लेके फिरहाल चिन्ता मे हैं।
हलाकि आपको एक अच्छे निवेशक की तरह आपको (पी. ई.) Ratio के साथ मे अन्य पहलुओ को देख कर ही किसी कंपनी के शेयर मे निवेश की योजना बनानी चाहिए।
किसी भी कंपनी की (पी. ई.) Ratio की गणना करने के लिए आपको उस कंपनी की वर्तमान शेयर की कीमत को उसके EPS ( अर्निंग पर शेयर ) प्रति शेयर होने वाली कमाई से भाग देना होता है। उदाहरण के लिए इसे इस तरह से समझते हैं।
मन लीजिए किसी कंपनी की शेयर की वर्तमान मे कीमत ₹50 तथा EPS ₹2.50 की है। अब आपको उसके वर्तमान शेयर की कीमत को उसके EPS से भाग देना होगा।
कुछ इस तरह से
PE ratio = शेयर की कीमत / EPS (अर्निंग पर शेयर)
PE ratio = ₹50 / ₹2.50 PE ratio = 20
तो इस उदाहरण मे अपने देखा की उस कंपनी की (पी. ई.) Ratio 20 की है। इसका मतलब आप इस तरह से भी समझ सकते हैं की निवेशक उस कंपनी के शेयर से एक रुपये की कमाई करने के लिए वर्तमान मे 20 रुपये चुकाने को तैयार हैं।
और हम फिरसे आपको इस बात से अवगत कराना चाहेंगे की (पी. ई.) Ratio सिर्फ एक संकेतक या मात्रक है, और आपको निवेश का निर्णय लेने से पहले अन्य पहलुओ का भी ध्यान रखना आवश्यक है। ताकि आपका निवेश सुरक्षित रहे तथा आपको अच्छा मुनाफा दे पाए।
चाहे वो हाई PE Ratio हो या लो PE Ratio हो यह उस कंपनी की परिस्थिति पर निर्भर करता है।
सामान्य रूप से हाई PE Ratio इस बात का इशारा होता है की निवेशक उस कंपनी के ग्रोथ को लेके काफी आशान्वित हैं। तथा लो PE Ratio इस बात का इशारा है की निवेशक उस कंपनी के ग्रोथ को लेके चिंतित हैं।
लेकिन कई सारी परिस्थितियों मे हाई PE Ratio इस बात का इशारा होता है की शेयर प्राइस इस वक्त ओवरवैल्यूड हैं तथा इससे दूर रहना ही बेहतर होगा। और लो PE Ratio इस बात का इशारा होता है की उस कंपनी के शेयर इस वक्त काफी काम दाम मे मिल रहें हैं तथा इस वक्त उस शेयर मे निवेश करना काफी सही निर्णय होगा।
अंततः किसी भी कंपनी की (पी. ई.) Ratio उस कंपनी के ग्रोथ प्रोस्पेक्ट तथा उस कंपनी के प्रति निवेशकों के रुझान पर निर्भर करती है तथा आपको निवेश से पहले अन्य मात्रकों को भी चेक कर के ही निर्णय लेना चाहिए।
कोई भी एक ऐसा मानक PE Ratio नहीं है जो भारत के हर कंपनी के लिए लागू हो । सही PE Ratio किसी विशेष इंडस्ट्री, उसके ग्रोथ तथा उस कंपनी के वित्तीय सेहत पर निर्भर करता है।
सामान्य रूप से 15 से कम PE Ratio को लो तथा 25 से ज्यादा PE Ratio को हाई माना जाता है। हालाकी यह वृहद रूप से किसी कंपनी के सेक्टर तथा इंडस्ट्री पर निर्भर करता है।
उदाहरण के लिए किसी आई टी अथवा टेक्नॉलजी कंपनी की (पी. ई.) Ratio उसके हाई ग्रोथ अनुमान की वजह से ज्यादा होगी वहीं तुलनात्मक रूप से किसी विकसित इंडस्ट्री जैसे की यूटिलिटी अथवा विनिर्माण क्षेत्र मे कार्य करने वाली कंपनी की (पी. ई.) Ratio कम हो सकती है।
PE Ratio के साथ साथ निवेश से पहले किसी कंपनी के फाइनैन्शल हेल्थ , ग्रोथ प्रोस्पेक्ट , इंडस्ट्री ट्रेंड एवं काम्पिटिशन की जानकारी हासिल कर लेना अच्छा होता है।
साथ ही की कॉमपनी की (पी. ई.) Ratio की तुलना करने हेतु उस कंपनी के समान इंडस्ट्री वाले कंपनी के (पी. ई.) Ratio से करना चाहिए ताकि हम यह जान सके की वह शेयर ओवरवैल्यूड है या अन्डरवैल्यूड है।
जरूरी नहीं है की नेगटिव PE Ratio अच्छा या बुरा हो। लेकिन यह जरूर दर्शाता है की वर्तमान मे वह कंपनी नुकसान जरूर उठा रही है।
सामान्यतया नेगटिव PE Ratio इस बात की ओर इशारा करता है की निवेशक अभी उस कंपनी के वर्तमान प्रति शेयर कमाई के लिए एक रुपया भी खर्च नहीं करना चाहते। हलाकी नेगटिव (पी. ई.) Ratio वाले कंपनी भी अच्छी इनवेस्टमेंट साबित हो सकते हैं, यादि उन्मे भविष्य मे अच्छा मुनाफा कमाने का माद्दा हो।
नेगटिव PE Ratio वाली कंपनी की वैल्यूऐशन करते वक्त इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए की उस कंपनी के नेगटिव PE Ratio होने की असली वजह क्या है तथा ऐसे कौनसे कारण हैं जिसके वजह से वह कॉमपनी भविष्य मे निश्चित रूप से मुनाफा कमा सकती है।
इसेक साथ ही उस कंपनी की वित्तीय सेहत तथा ग्रोथ प्रोस्पेक्ट का भी ध्यान रखना आवश्यक है।
Top 10 High PE Ratio Stocks In India
S.No | Name Of Company Stock | Market Value In Crore | PE Ratio |
1 | Unique Organics Ltd | 24.64 | 1,231.97 |
2 | Citizen Infoline Ltd | 11.90 | 1,189.56 |
3 | National Standard (India) LtdS | 9,767.20 | 1,183.90 |
4 | SPacenet Enterprises India Ltd | 899.23 | 1,167.84 |
5 | Saianand Commercial Ltd | 11.59 | 1,158.72 |
6 | Media Matrix Worldwide Ltd | 1,380.81 | 1,131.81 |
7 | Munoth Capital Market Ltd | 135.58 | 1,129.87 |
8 | Deep Energy Resources Ltd | 369.76 | 1,120.48 |
9 | Arman Holdings Ltd | 33.20 | 1,106.71 |
10 | Rajasthan Petro Synthetics Ltd | 11.01 | 1,100.89 |
Source- Tickertape.in |
अतः अब हम यह समझ चुके हैं की PE Ratio एक वित्तीय मानक है जो की किसी कंपनी के शेयर की वैल्यूऐशन करने मे सहायक है । इसकी गणना हम उस शेयर के वर्तमान प्राइस को उसके अर्निंग पर शेयर से भाग देकर करते हैं।
यह किसी भी निवेशक के लिए एक महत्वपूर्ण टूल है जिससे वह यह जान सकता है की समान इंडस्ट्री तथा सेक्टर मे कार्य करने वाले कंपनी की तुलना मे उस कंपनी की क्या स्तिथि है।
हलाकी हम तथा सभी भरोसे मंद निवेश सलाहकार आपको PE Ratio के साथ साथ अन्य मानकों के प्रयोग की भी सुझाव देंगे ताकि आप किसी भी शेयर की वैल्यूऐशन सही ढंग से कर पाएं तथा एक अच्छा निवेश का निर्णय ले सकें।
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